EXCLUSIVE NEWS: प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका : 15 करोड़ की बाज़ार भाव से वसूली


उत्तराखण्ड (Bureau Chief-TWV, News Desk) नैनीताल से 9 जून को सूत्रों से मिली खबर के अनुसार नैनीताल हाईकोर्ट ने अहम फैसला देते हुए उतराखण्ड की राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है। वही जिसमें प्रदेश के अब तक सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को जो ठाठ मिल रहे थे जिसमें किराए और अन्य सुविधाओं में छूट देने के लिए बनाए गए कानून को नैनीताल उच्च न्यायालय ने असंवैधानिक करार दिया है। सूत्रों के मुताबिक अब सभी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बाज़ार भाव से देना होगा किराया। साथ ही उन्हें अन्य सुविधाओं का भी पैसा देना होगा। वही जिसमें आपको बता दे कि नैनीताल न्यायालय ने अधिनियम को भारत के संविधान के अनुच्छेद 202 से 207 के उल्लंघन में भी पाया है।


वही जिसमं सूत्रो के मुताबिक याचिकाकर्ता रूलक संस्था के अधिवक्ता डॉ0 कार्तिकेय हरि गुप्ता वकील ने जानकारी देते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने अधिनियम को भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 या समानता के अधिकत का उल्लंघन करार दिया है। वही जिसमें से अधिनियम धारा सात के प्रावधान को भी गलत करार दिया है। इसी पर राज्य सरकार ने पिछले फैसले के प्रावधान काे लागू नहीं करने का निर्णय लिया था। वही आपको बता दे कि इस दौरान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 03/05/ 2019 को जारी आदेश में यह कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगल, गाड़ी आदि अन्य सभी सुविधाओं का किराया बाज़ार भाव से देना होगा। जिसमें साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि 6 महीने के दौरान सभी पैसा जमा करें और अगर ऐसा नहीं करते हैं तो सरकार को इनके खिलाफ वसूली की कार्रवाई शुरु करनी होगी।


वही सूत्रों के अनुसार नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले में सुनवाई के बाद 23 मार्च 2020 को निर्णय सुरक्षित रख लिया था। वही सूत्रों के अनुसार देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार के उस ऑर्डिनेंस को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता के वकिल ने बताया कि  न्यायालय ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन मानते हुए यह निर्णय दिया है। जिसमें होईकोर्ट ने कहा कि अधिनियम के प्रावधान स्थापित नियमों का उल्लंघन करते हैं।


इस जिसमें इस दौरान प्रदेश सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों के किराए को बाजार रेट के आधार पर भुगतान करने में राज्य सरकार ने छूट दे दी थी। जबकि यह कहा जा रहा हैे कि संस्था का कहना था कि यह संविधान के खिलाफ है। वही जिसमें सूत्रों के अनुसार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को राज्य सरकार की ओर से बंगला, गाड़ी समेत कई सुविधाएं मिलती थींै। वही आपको बता दे कि जिस पर रूलक संस्था के अवधेश कौशल इसे नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिसके बाद सभी हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्रियों ने ये सुविधाएं वापस कर दी थीं। वही सूत्रों के अनुसार जब याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता डॉ0 कार्तिकेय हरि गुप्ता हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों के रूप में उन्हें दी गई अन्य सभी सुविधाओं के लिए खर्च किए गए धन की गणना करने और उसकी वसूली  के लिए राज्य उत्तरदायी होगा।