BREAKING NEWS: कोरोना काल की एक और अफवाह..!


उत्तराखण्ड (Bureau Chief-TWV, News Desk) देहरादून में 20 जून शनिवार को प्रदेश में में कोरोना कोविड-19 संक्रमण का तेजी से लगातार जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है। वही हर किसी की टेंशन भी बढ़ रही है। वही जिसमें सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखण्ड में कोविड-19 संक्रमणों की बढ़ती तदाद के आंकड़ो में जिसमे शनिवार को 124 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। जिसमें अब राज्य में संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 2278 हो गया है। वही जिसमें सूत्रों के मुताबिक शनिवार को निकले मामलों में 20 हेल्थ वर्कर भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें से 17 देहरादून और 3 टिहरी जिले से हैं। वही राजधानी में कोरोना पाॅजिटिव रिपोर्ट देहरादून के जिला अस्पताल के डाॅक्टर फीजिशिएन को लेकर कईं तरह की चर्चा का विषय बन गया।


जिसमें सूत्र बताते है इस डाॅक्टर की कोरानो रिपोर्ट पहले पाजिटिव और फिर एक दिन बाद नेगिटिव रिपोर्ट आने से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पर कई सवाल खडे़ हो रहे है। वही जिसमें सूत्रों के अनुसार आपको बता दे कि पूरा मामला क्या है। और जिला अस्पताल के इस डाॅक्टर जो सीएम उत्तराखण्ड का फीजिशिएन भी है। सूत्रों की मान तो इस डाॅक्टर ने कोरोना पाॅजिटिव कि तथाकथित रिपोट के बाद एक दिन पहले सीएम का स्वास्थ्य संबंधित रुटीन चैकअप किया था। वही फिर क्या था इसके बाद मुख्यमंत्री के फिजिशियन के कोरोना पाजिटिव आने से शनिवार सुबह चर्चाओं का बजार गर्म हो गया


था। यह कहा जा रहा था कि उन्हें क्वारंटीन किया जाएगा। जबकि बता दे कि इस संबंध में जिला प्रशासन के स्तर से निर्देश जारी किए जाते हैं। वही जिसमें मुख्यमंत्री के होम क्वारंटीन होने की अफवाह उड़ी की खबर आने लगी जिसमें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फिजिशियन के कोरोना पाजिटिव आने के बाद उनके होम क्वारंटीन होने की दिनभर चर्चा रही। लेकिन सीएम ने एहतियात के तौर पर खुद को क्वारंटीन करने का निर्णय लिया। जबकि आपको बता दे कि इस मामले पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस सूचना का खंडन किया है।


वही जिसमें इस डाॅक्टर फीजिशिएन की रिपोर्ट पाॅजिटिव  या नेगेटिव मामले पर सूत्रों का कहना है कि देहरादून के डालनवाला स्थित जिला अस्पताल केएक डॉक्टर्स व अन्य हेल्थ केअर वर्कर्स की कोरोना रिपोर्ट चंडीगढ़ की लैब से पॉजिटिव आने के बावजूद इस मामले में शनिवार को दोबारा कराई गई सैंपलिंग के बाद कई सवाल खड़े हो गये हैं। जिसमें सूत्र बताते है कि जब एक बार कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है तो जाहिर बात है कि पांच दिन पहले लिए गए सैंपल की रिपोर्ट अब नेगेटिव आने की प्रबल संभावना है। ऐसे में वो लोग सरकार की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं। वही जिसमें इस मामले पर जिनकी गर्दन इस प्रकरण में फंसती नजर आ रही है। वही सूत्रों के अनुसार अब सवाल ये उठ रहा है कि इस डाॅक्टर फीजिशिएन की रिपोर्ट में पाॅजिटिव या नेगेटिव का खेल कौन खेल रहा है


वही सूत्रों यह भी बताते है कि इन स्वास्थ्य कर्मीयों का बीती 15 जून को सैंपल हुआ था। जिसमें इनकी रिपोर्ट 20 जून शनिवार सुबह को हेल्थ बुलेटिन में पाॅजिटिव दिखाई गई है। जबकि आपको बता दे कि शनिवार सुबह को रिपोर्ट आने से पहले ही 19 जून शुक्रवार को जिले के स्वास्थ्य विभाग के अफसर के निर्देश पर अस्प्ताल की सीएमएस ने उन तमाम स्टाफ को ड्यूटी पर बुला लिया जो संदिग्ध थे। जबकि इस नेगटिव रिपोर्ट के पीछे कोई आधार यानि किसी लैब की रिपोर्ट आदि नहीं थी। ऐसे में किस आधार पर ड्यूटी जॉइन कराई ये बड़ा सवाल है।


वही अब देखने वाली यह बात है कि 20 जून को फिर लिए सैंपल की रिपोर्ट शाम को नेगेटिव आई है। तो इसके कोई मायने नहीं होंगे। यह नहीं कहा जा सकता कि 15 जून की पॉजिटिव रिपोर्ट ग़लत थी। लेकिन अगर 20 जून की रिपोर्ट पॉजिटिव आती तो यह कहा जा सकता है कि 15 जून की रिपोर्ट सही थी। वही अब सवाल यह है कि वही अब अलग-अलग दिन के सैंपल की यदि द्वितीय रिपोर्ट नेगेटिव है तो इसका यही मतलब है कि मरीज ठीक हो चुका है। अब सवाल यह भी है कि चंडीगढ़ लैब की विश्वसनीयता पर पांच दिन बाद सवाल नहीं उठाए जा सकते। क्योंकि ऐसे में यही माना जायेगा कि मरीज ठीक हो चुका है। वही सूत्रों के अनुसार अब सवाल ये उठ रहा है कि इस डाॅक्टर फीजिशिएन की रिपोर्ट में पाॅजिटिव या नेगेटिव का खेल कौन खेल रहा है


वही जिसमें सूत्र बताते है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 बीसी रमोला ने कहा कि 33 स्वास्थ्य कर्मियों में से 17 की रिपोर्ट पॉजिटिव आना शक पैदा कर रहा है। इसे देखते हुए सभी के दोबारा से सैंपल लेकर कोरोना जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। उधर देर रात जारी स्वास्थ्य बुलेटिन में भी इन मामलों का उल्लेख नहीं था।