(Bureau Chief-TWV, News Desk), 8 मई : लाॅकडाउन तीसरे चरण के दौरान आज आपको पहाड़ के सूखे मेवे जो आपके शरीर व मस्तिष्क दोनों को ताकत व चुस्ती-फुर्ती प्रदान करता हैं। अखरोट ये सूखा मेवा उत्तराखण्ड के पहाड़ों को सौन्दर्य की दृष्टि से ही नहीं बल्कि यहाँ प्रकृति द्वारा दिए गए बेहतरीन तोहफों के लिए भी सदियों से जाना जाता रहा है। क्या आप भी जानते और खाते हैं इस सूखे मेवे को, क्या आपके बच्चे भी कहते हैं मां अखरोट भी भेज देना। क्या आप भी मानते हैं। ’अखरोट लगायें, बुढा़पे की पेंशन कमायें’ तो आईये हम जानते है इस सूखे मेवे खासियत के बारे में तो आओ जानें और मानें।
खबर विस्तार से..अखरोट को अंग्रेजी में वालनट तथा बनस्पतिजगत में जुगलांस रीजिया के नाम से जाना जाता है। जुगलनडेसी कुल का अखरोट एक पतझड़ करने वाला बहुत सुन्दर एवं सुगन्धित पेड़ होता है। इसकी दो जातियां होती हैं, जिनको हमारे घर गावों में काठी (यानि दांत से नहीं टूटने वाला, जंगली अखरोट) तथा दांती (यानि दांत से ही टूट जाने वाला) अखरोट के नाम से जाना जाता है। इन्ही दांती अखरोट के बीच में एक अखरोट कागजी भी होता है जिसका छिलका बहुत ही पतला होता है तथा जिसको अधिकत: कश्मीर में ही उगाया जाता है।
इसी कागजी अखरोट का प्रत्येक बर्ष अकेल कश्मीर से ही 100 करोड़ से ऊपर का व्यापार किया जाता है। वर्तमान में इसकी ब्यवसायिक खेती अन्य पहाडी़ राज्यों के साथ ही उत्तराखन्ड में भी किये जाने के प्रयाश किये जा रहे हैं। 1000 से 2500 मी0 तक की ऊँचाई पर जंगलों में अपने आप प्राकृतिक रूप से उगने वाले अखरोट के पेड़ 100 से 200 फीट तक ऊंचे तथा 'कृषिजन्य (बगीचों में लगाये गये) अखरोट के पेड़ 40 से 90 फुट तक ऊंचे होते हैं। वर्तमान में अखरोट की कम ऊचाई तथा कम समय में अधिक फल देने वाली बैराइटियां भी विकसित कर ली गयी हैं।
अखरोट के फल को एक प्रकार का सूखा मेवा भी कहा जाता है जो खाने के साथ ही विभिन्न प्रकार से उपयोग में लाया जाता है। घर गावों में अखरोट की डाल से ली गयी लकड़ी को दातून के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही इसके फलों के छिल्कों (कोच्चि), पेड़ की छाल एवं पत्तियों को डाई यानि रंगाई के काम में भी लाया जाता है। , अखरोट की लकडी़ से कृर्षि उपकरण बनाने तथा पत्तियों एवं छाल के रस को टिमरू, कंडाली तथा गौमूत्र में मिलाकर इस्तेमाल करने से कीट नियन्त्रण भी किया जाता है। अखरोट के फल (गुठली) का बाह्य आवरण कठोर होता है तथा अंदर मानव मस्तिष्क के जैसे आकार वाली गिरी होती है, जो खाने के काम आती है।
माना गया है कि आधी मुट्ठी अखरोट में 392 कैलोरी ऊर्जा, 9 ग्राम प्रोटीन, 39 ग्राम वसा और 8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट के साथ ही विटामिन ई और बी०6, कैल्शियम तथा मिनेरल भी प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं। अखरोट के तेल का इस्तेमाल भी लाभकारी होता है। अखरोट की गिरी को कई तरह के खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें मुख्य रूप से केक, कुकीज और एनर्जी बार आदि शामिल है। अखरोट को अंग्रेजी में वॉलनट, तेलुगू में अकरूट काया, मलयालम में अक्रोथंदी, कन्नड़ में अक्रोटा, तमिल में अकरोट्टू, मराठी में अकरोड़ और गुजराती में अक्रोट कहा जाता है। विभिन्न भाषाओं में अखरोट के जितने नाम हैं, उसके फायदे भी उतने ही हैं।
अखरोट के औषधीय गुणों के कारण इसके सेवन से कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। अखरोट का नित्य सेवन कई रोगों को दूर रखने और उसके इलाज में मदद कर सकता है। आइए , जानकारों के अनुसार विस्तार से जानते हैं अखरोट सेवन के फायदे ।
- दिल के स्वास्थ्य को बनाये रखने में मददगार:-विभिन्न शोधों के अनुसार अखरोट खाने से हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती हैI इसमें पाए जाने वाला पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड हृदय प्रणाली के लिए फायदेमंद होता है। इसके अलावा, जिन्हें उच्च रक्तचाप की समस्या होती है, उनके लिए भी अखरोट लाभकारी होता है। पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड शरीर से खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल के निर्माण में मदद करता है,
जिससे हृदय को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।
- मस्तिष्क कार्यप्रणाली में फाइदा:- शोध के मुताबिक, अखरोट में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो मस्तिष्क के कार्य (ब्रेन फंक्शन) यानि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार करता हैI
- कैंसर रोकने में मददगार: - कैंसर जैसी घातक समस्या को दूर रखने में भी अखरोट फायदेमंद साबित हो सकता है। एक मेडिकल रिसर्च के अनुसार, अखरोट में एंटीकैंसर प्रभाव पाया गया है। एंटीकैंसर प्रभाव के कारण अखरोट का सेवन कैंसर के ट्यूमर को पनपने से रोकने में मदद कर सकता है।
- हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में मददगार:-हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए भी अखरोट का सेवन किया जा सकता है। अखरोट में पाये जाने वाले अल्फा लिनोलेनिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलती हैI इसके अलावा, अखरोट में कैल्शियम और विटामिन-डी भी पाया जाता है, जो हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी होता है।
- वजन कम करने में लाभकारी: --एक शोध के आधार पर माना गया है कि अखरोट का सेवन वजन को कम करने में भी फायदेमंद है।
- गर्भावस्था में लाभकारी: -शोध के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान अखरोट का सेवन लाभकारी होता है। अखरोट में पाए जाने वाले फैटी एसिड, विटामिन ए और ई होने वाले शिशु के मानसिक विकास में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, अखरोट में भरपूर मात्रा में फेनोलिक कंपाउंड (यौगिक) पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव डालने का काम कर सकते हैं। साथ ही इसमें एंटीकॉन्वेलसेंट, न्यूरोप्रोटेक्टिव और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं। अखरोट में प्रोटीन, पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (PUFA) और टोकोफेरॉल्स की भी समृद्ध मात्रा पाई जाती है।
- ब्लड प्रेशर नियन्त्रित करने में मददगार: - उच्च रक्तचाप की स्थिति में हृदय संबंधी रोग होने का जोखिम बना रहता है। ऐसे में उच्च रक्तचाप की समस्या को दूर रखना बेहतर होगा। इसके लिए अखरोट का सेवन करना अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। एक शोध के अनुसार, अखरोट का सेवन उच्च रक्तचाप को कम करने का काम कर सकता है, जिससे हृदय से जुड़े जोखिम को दूर रखने में मदद मिल सकती है।
- प्रतिरक्षा _प्रणाली_ को मजबूत करने में मददगार:- प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) के मजबूत होने पर कई बीमारियों को दूर रखने में मदद मिल सकती है। इसे मजबूत करने में अखरोट के गुण सहायक साबित होते हैं। दरअसल, अखरोट में मौजूद प्रोटीन में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए जाने जाते हैं।
- बेहतर नींद और तनाव से राहत पाने के लिए मददगार:- अखरोट का सेवन करने से तनाव और नींद की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। दरअसल, अखरोट में विटामिन-बी6, ट्रिप्टोफैन, प्रोटीन और फोलिक एसिड जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो तनाव से छुटकारा दिलाने का काम कर सकते हैं। इसके अलावा, इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड मूड को बेहतर करने का काम कर सकता है, जिससे अच्छी नींद आ सकती है। अखरोट ओमेगा 3 एसेंशियल फैटी एसिड और यूरिडीन का प्रमुख स्रोत है। ओमेगा 3 फैटी एसिड और यूरिडीन की मौजूदगी के कारण अखरोट में प्राकृतिक एंटीडिप्रेसेंट का प्रभाव होता है।
- डायबिटीज में लाभकारी:- शोध के अनुसार मधुमेह जैसी समस्या में अखरोट का सेवन लाभकारी साबित हो सकता है। अखरोट के पेड़ और पत्तो में एंटी-डायबिटिक प्रभाव पाए जाते हैं। इस प्रभाव के कारण यह रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम करने का काम कर सकता है।
- मिर्गी से बचाव में मददगार:- अखरोट खाने से मिर्गी की समस्या को दूर रखने में भी मदद मिल सकती है। दरअसल, फ्री रेडिकल्स के अधिक उत्पादन से मिर्गी और न्यूरोलॉजिकल जैसी विकारों का जोखिम बढ़ जाता है। इस समस्या को कम करने के लिए एंटीकॉन्वल्सेंट दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। यह दवा मिर्गी के दौरे को कुछ कम कर सकती है। शोध के अनुसार अनुसार अखरोट में एंटीकॉन्वल्सेंट प्रभाव पाया जाता है। इस प्रभाव के कारण अखरोट मिर्गी के खिलाफ न्यूरोप्रोटेक्टिव यौगिक के रूप में काम कर सकता है। इस प्रकार मिर्गी की समस्या से बचा जा सकता है।
- एंटी - इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट: -कई समस्याओं के समाधान में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव की अहम भूमिका देखी गई है। वहीं, एक वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि अखरोट में ये दोनों प्रभाव पाए जाते हैं, जो इंफ्लेमेशन (सूजन) और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की समस्या से बचाए रखने का काम
कर सकते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी, पार्किंसंस और अल्जाइमर जैसे घातक समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। इसलिए, इससे बचने का बेहतर विकल्प अखरोट का सेवन हो सकता है।
- स्वस्थ पेट बनाये रखने में मददगार:- शोध के अनुसार, 8 सप्ताह तक प्रतिदिन 43 ग्राम अखरोट का सेवन करने से एक स्वस्थ व्यक्ति में प्रोबायोटिक और ब्यूटिरिक एसिड का उत्पादक होता है, जो अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं। इससे आंतों को स्वस्थ्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
- पित्त की पथरी के इलाज में मददगार:-पित्त की पथरी के इलाज में अखरोट का सेवन सहायक हो सकता है। शोध परिणामों के अनुसार अखरोट सहित कुछ नट्स में अनसैचुरेटेड फैटी एसिड, फाइबर और मिनरल पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्व पित्त की पथरी से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि अखरोट के फायदे पित्त की पथरी से निजात दिलाने के लिए भी हो सकते हैंI
- एंटी - एजिंग:- बढ़ते उम्र के प्रभाव को तेजी से बढ़ने से रोकने के लिए अखरोट का सेवन सहायक साबित हो सकता है। अखरोट विटामिन्स से भरपूर होता है, जो बढ़ते उम्र के प्रभाव को धीमा करने का काम करता है। एक शोध में पाया गया है कि अखरोट के तेल में एंटी-एजिंग प्रभाव होता है, जिसका उपयोग बढ़ते उम्र के प्रभाव को भी कम करने में मदद सकता है
- बालोंको *मजबूत व स्वास्थ रखने में मददगार:- अखरोट में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के कारण इसका सेवन बालों के लिए भी फायदेमन्द होता है।
अखरोट खाने के तरीके-आओ जानें: -अखरोट की सम्पूर्ण गिरी को खाने के साथ ही इसका पाउडर बना कर दूध के साथ शहद मिला कर भी सेवन किया जा सकता हैI योगर्ट में केला, अखरोट, शहद की रावड़ी बनाकर खाने के बाद मीठे के तौर पर सेवन करने से भी फायदा मिलता है।, -अखरोट की गिरी को रातभर पानी में भिगोकर रखकर सुबह खाली पेट भी लिया जा सकता है।
ध्यान दें :-- अखरोट की तासीर गर्म होती है, अगर आप गर्मियों के मौसम में अखरोट खा रहे हैं, तो इस बात पर विशेष ध्यान दें कि आपको गरम सूट करता है या नहीं। अगर आप पर गर्म चीजों का प्रभाव नकारात्मक तरीके से पड़ता है, तो आप एक दिन छोड़कर अखरोट का सेवन कर सकते हैं या फिर सिर्फ सर्दियों में ही इसका सेवन करें।
-अखरोट खाने से एलर्जी भी हो सकती है, जैसे मुहं के छाले, साँस लेने में तकलीफ, खरास इत्यादि।, हमेशा याद रहे किसी भी वनस्पति, फल या उससे निर्मित औषधि, बीमारी के इलाज में उतनी कारगार हो या ना हो, मगर बीमारी को न होने देने में बहुत कारगार होते हैं।, इसलिए किसी भी वनस्पति या फल से स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए उसका नित्य एवं निरन्तर सेवन किया जाना जरूरी है।, यदि अखरोट का संतुलित मात्रा में नित्य एवं निरन्तर सेवन किया जाए, तो यह चमत्कारी फायदे कर सकता है। इसलिए सहमत हों तो स्वस्थ एवं निरोगी शरीर के लिए आप भी अखरोट का नित्य एवं निरन्तर सेवन अवश्य करें। साथ ही अपने घर गावों में खाली पड़ी जमीन (जिसके लिए आप अक्सर पूछते हैं की क्या लगायें) में जाडे़ के मौसम (जनवरी-फरवरी) में अखरोट के पेड़ लगायें और पुन्य तथा रूपया दोनों कमायें।
डॉ० विजय कान्त पुरोहित
हे०न०ब० गढ़वाल विश्विविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल), 246174, उत्तराखंड।