इस वृक्ष के पत्ते, फूल, छाल एवं बीज विशेष रूप से सेहत के लिए उपयोगी


(Bureau Chief- TWV, News Desk) : नारंगी डंडी वाले सफेद खूबसूरत और महकते हरसिंगार के फूलों को आपने जरूर देखा या इसके बारे में सुना होगा होगा। हिंदू धर्म में हरसिंगार का बहुत महत्व है, इसे ईश्वर की अराधना में भी एक खास स्थापन प्रदान किया गया है। इसके फूल ईश्वर की आराधना में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसके अतिरिक्त, क्या आप जानते हैं कि हरसिंगार का वृक्ष कई रोगों का इलाज भी कर सकता है? आयुर्वेद में इसके बारे में बताया गया है कि हरसिंगार का पौधा एक बहुत ही उत्तम औषधि है। हरसिंगार (पारिजात) के इस्तेमाल से आप पाचनतंत्र, पेट के कीड़े की बीमारी, मूत्र रोग, बुखार, लीवर विकार सहित अन्य कई रोगों में लाभ पा सकते हैं।


अपको बता दें कि इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है और कहीं 25-30 फीट ऊँचा एक वृक्ष होता है। इसके पेड़ की छाल जगह-जगह परत दर सलेटी से रंग की होती है एवं पत्तियाँ हल्की रोयेंदार छह से बारह सेमी लंबी और ढाई से.मी. चौड़ी होती हैं। हरसिंगार के पेड़ पर रात्रि में खुशबूदार छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और एवं फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है।


वही अपको बता दें कि हरसिंगार के फूलों से लेकर पत्त‍ियां, छाल एवं बीज भी बेहद उपयोगी हैं। इसकी चाय, न केवल स्वाद में बेहतरीन होती है बल्कि सेहत के गुणों से भी भरपूर है। इस चाय को आप अलग-अलग तरीकों से बना सकते हैं और सेहत व सौंदर्य के कई फायदे पा सकते हैं। यह हलका, रूखा, तिक्त, कटु, गर्म, वात-कफनाशक, ज्वार नाशक, मृदु विरेचक, शामक, उष्णीय और रक्तशोधक होता है।


*इस वृक्ष के पत्ते और छाल विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग गृध्रसी (सायटिका) रोग को दूर करने में किया जाता है। (सायटिका की समस्या मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी व कमर की नसों से जुड़ी हुई है जिसका सीधा संबंध पैर से होता है) 
-हरसिंगार के ढाई सौ ग्राम पत्ते साफ करके एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी लगभग 700 मिली बचे तब उतारकर ठण्डा करके छान लें, पत्ते फेंक दें और 1-2 रत्ती केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें। इस पानी को दो बड़ी बोतलों में भरकर रोज सुबह-शाम एक कप मात्रा में इसे पिएँ।
-ऐसी चार बोतलें पीने तक सायटिका रोग जड़ से चला जाता है। किसी-किसी को जल्दी फायदा होता है फिर भी पूरी तरह चार बोतल पी लेना अच्छा होता है। इस प्रयोग में एक बात का खयाल रखें कि वसन्त ऋतु में ये पत्ते गुणहीन रहते हैं अतः यह प्रयोग वसन्त ऋतु में लाभ नहीं करता।


*हरसिंगार के फूल हृदय के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं हैं। एक माह तक प्रातः खाली पेट हरसिंगार के 15-20 फूल या फूलों का रस का सेवन हृदय रोग से बचाता है। हृदय रोगों के लिए हरसिंगार का प्रयोग हृदय रोग से बचाने में कारगर है।


*स्वस्थ्य व्यक्ति भी यदि सर्दियों में एक सप्ताह तक हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा पियें तो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढती है एवं शरीर यदि किसी प्रकार का संक्रमण हो रहा है तो वह भी समाप्त हो जाता है। हाथ-पैरों व मांसपेशियों में दर्द व खिंचाव होने पर हरसिंगार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस मिलाकर पीने से फायदा होता है। इसके फूल ठण्डे दिमाग वालों को शक्ति देता है और गर्मी को कम करता है।


*हरसिंगार की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा से सम्बंधित रोगों में लाभ मिलता है और त्वचा संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं। त्वचा रोगों में इसके तेल का प्रयोग भी उपयोगी है। हरसिंगार के फूल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा उजला और चमकदार हो जाता है।