LATEST NEWS... CORONA COVID-19 WARRIORS खतरें में क्यों..?


उत्तराखण्ड, (Bureau Chief-TWV, News Desk) : देश व दुनिया में इस समय CORONA COVID-19 कोरोना जैसे महामारी के साथ लड़ रहे The warriors सभी पत्रकार बंधुओं को कोरोना फाइटर के बनकर मैदान में खतरों से खेल रहे है।वही देश में इन कोरोना फाइटर पत्रकारों को भी सुविधा एवम बीमा दिया जाना चाहिए। जबकि आपको बता दें कि एक सच्चे पत्रकार सिर्फ वह ही है जो हर परिस्थितियों में सच के साथ अड़िग बन कर खड़ा रहे। जिसमें उसके साथ कई बार कुछ परिस्थितिया ये सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या पत्रकारिता पर भी राजनीतिक दबाब आने लगा। अगर ऐसा है तो पत्रकार पत्रकारिता को छोड़ दे। क्योकि पत्रकार का समाज में अलग रुतबा होता है अगर वह अपने इस प्रोफेशन के साथ खिलवाड़ करता है तो उसकी खुद की गलती है।एक सच्चा पत्रकार वही जो सच का साथ दे।


वही आपको बता दें कि इस वक्त देश सहित राज्यो में फैला कोरोना वायरस जैसी भयंकर महामारी में लड़ रहे Fights (warriors)  CORONA COVID-19 डाक्टरो, नर्सिज, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मीया,े सहित विभिन्न अस्पतालों में पूरी तरह से मुस्तैदी के साथ काम कर रहे है। वही जब जहाँ पत्रकारों की बात आती हैं।तो सरकार, शासन, प्रशासन नेता, अभिनेता सब सौतेला व्यवहार करने लगते हैं। यहा तक सांसद, विधायक, नगरसेवक व धनाढ्य व्यक्तियों के एक फोन काल या मैसेज करने पर अपने बाल बच्चों को छोड़ कर उनके पास भागा चला जाता हैं तथा उनके हर कथन व कार्यो को बढ़ा चढ़ा कर उनको काला से सफेद बना देने पर भी आज वही लोगों ने पत्रकारों से मुंह मोड़ लिया हैं।


वही जब कलम के सिपाही प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत दर्जनों लोग आज The warriors इस संकट काल में शासन व प्रशासन के साथ कंधा से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। वही इसके बावजूद भी कोई पत्रकारों को पूछने वाला नहीं है कि आपके वाहनों में डीजल और पेट्रोल कहां से आता है। आपके घर का खर्चा कैसे चलता है। आपके परिवार कोई लम्बी बिमारी या कोई और आर्थिक संकट आदि की क्या स्थिति है। कोई पूछने वाला नही बस गरीबों को राशन व खाना बांटते फोटो अखबार में छप जाए तो पत्रकार को पत्रकार माने नही तो अंजान बनकर रहो। वही यही नही इस संकट काल में पत्रकार अपने परिवार को छोड़ कर शहर के हर छोटी बड़ी घटनाओं पर नजर बनाने के लिए दर बदर भटकता रहता हैं।


नागरिकों को भोजन राशन मिल रहा हैं कि नही, शासन-प्रशासन के अधिकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं कि नहीं, शासन ने आज नागरिकों के लिए क्या संदेश दिया आदि खबरों को एकत्रित कर शाम को खबरें बनाकर, न्यूज चैनल, अखबार, पोर्टल के कार्यालय में भेजता हैं। फिर पूरे दिन की जानकारी देश के सभी नागरिकों तक पहुंचती हैं। वही आपको बता दे कि इस महामारी से पहले जब जिसकी सरकार या नेताजी, समाज सेवक संस्थाओं को जरुरत पड़ी तब पत्रकारों को मैसेज कर बुला लेते थे। और ये लोग अपनी खबर छपवाकर जहाँ खुद की चमक बढ़ाते है। वही इस वक्त उन्ही मीडियाकर्मीयों को आज संकटकाल में कोई पूछने वाला नहीं हैं।


जिसमें इस Fights CORONA COVID-19 महामारी कोरोना कोविड-1ृ9 से लड़ने के लिए सांसद व विधायक व धनाढ्य लोग आर्थिक मदत सरकार को दे रहे है। वही ऐसे संकट काल में देना भी चाहिए। वही देखने वाली बात है कि दिन हो या रात तक पेन डायरी व कैमरा, आईडी लेकर घुमने वाला पत्रकारो पर सरकार की क्यो नही इस वक्त उनकी सुध लेती । बस यही आज सवाल मन में उठता हैं। वही फिर भी पत्रकारिता धर्म हमें हर छोटी से बड़ी खबर हर सूरत में जनता तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी देता है। जिसके कारण सारे पत्रकार बंधु हर सूरत में अपना ये धर्म बख़ूबी निभा रहे है।


वही इस महामारी के बीच काम कर रहे The warriors मीडियाकर्मी जो अपनी जान पर खेल कर सरकार व जनता को पल-पल की स्थिति से अवगत तो करा रहे हैं लेकिन इसके विपरीत मुख्यमंत्री के आदेशानुसार सरकारी कर्मचारियों को मास्क, दस्ताना , सैनिटाइजर, साबुन जैैैसी सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गयी हैं, वही इस वक्त सुरक्षा के दृष्टि से उपलब्ध होना भी चाहिए। लेकिन संविधान के चौथे स्तंभ के लिए इस संकट काल में सरकार ने कोई भी सुविधा उपलब्ध नही करवाया है। वही ऐसे मौके पर प्रदेश की सरकारों ने अस्पतालों में इलाज कर रहे डाॅक्टरों तथा नर्सो, सफाईकर्मीयो, पुलिसकर्मीयो के लिए एक करोड़ रुपये का जीवन बीमा देने के लिए ऐलान किया हैं। लेकिन किस पत्रकार के लिए सरकार ने कोई सुरक्षा बीमा व उनके परिजनों के सुरक्षा का इंतजाम किया है।...जरा सोचिए! वही हैरत कि बात है इस वक्त देश के चौथे स्तंभ के पास कल का राशन हैं कि नहीं, ऐसा पूछने वाला कोई भी इंसान नहीं हैं ।


जब कि इस वक्त राशन बांटे वाली सरकार सहित कई संस्थाएं शहरों व गली मौहल्लों में घुम-घुम कर जरूरत की समाग्री बांट रही है वहीइसी बीच में रहने वाले पत्रकारों के परिवारों को कोई नही पूछ रहा है। की आप किस स्थिति में हो। वही जब एक पत्रकार दिन भर में कई जगहों जाता हैं। आम जनता से लेकर अफसरों, राजनीतिज्ञों, स्वाथय्य कर्मियों इत्यादि से मिलता है। ऐसे में उसके संक्रमित होने का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है। और यदि वो संक्रमित हो गया तो उससे ज़्यादा तेज़ी से संक्रमण फैलाने वाला माध्यम और कोई नहीं हो सकता इसीलिए पत्रकार बंधुओं को अपने ‌परिवार के सुरक्षा के लिए सबसे ज़्यादा सावधानी रखने की जरुरत है। क्योंकि कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित कर सकता है।


वही Fights (warriors)  CORONA COVID-19 फिर भी देश के चैथे स्तंभ कहलाने वालो को सरकार ने जान जोखिम में डालकर पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों कि कोई सुध नहीं ले रहे है। वही देशभर के पत्रकार अपनी जिंदगी को खुद जान जोखिम में डाल करके सरकारी, मौजूदा शासन और जिला प्रशासन की आवाज जनता तक व जनता की आवाज शासन प्रशासन तक पहुंचाने का काम इस संकट की घड़ी में फिर भी डटकर अपना फर्ज के साथ काम कर रहे है।


उदाहरण तौर पर एक शहर उत्तराखण्ड की जानकारी में सभी यूनियनों ने ओढ रखी है खामोशी:-  देहरादून में एक दर्जन से अधिक इतनी ताकतवर पत्रकार यूनियनें हैं, जिनके नेताओं का दावा रहता है कि उनकी मुख्यमंत्री तक सीधी पहुंच है। वह जब चाहे मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सकते हैं। शासन स्तर से गठित महत्वपूर्ण समितियों में कई पत्रकार सदस्य पद पर आसीन हैं। बडी बडी यूनियनों, दर्जनों दिग्गज नेताओं के बावजूद मीडियाकर्मियों के प्रति सूचना विभाग की ऐसी संवेदनहीनता क्यों है। यूनियनें क्यों खामोश है, इसका आत्मचिंतन उन्हें स्वयं करना चाहिए।


सूचना विभाग के जिम्मेदार अधिकारी खुद ही दुबके हुए घरों में:- Fights (warriors)  CORONA COVID-19 किसी भी युद्ध को जीतने के लिए सेनानायकों को हर हाल मे मोर्चा मे डटे रहना पडता है,जिससे प्रेरित होकर सैनिक भी युद्ध मे अपनी पूरी ताकत लगा देता है लेकिन कोरोना योद्धा मे सूचना विभाग के इक्का दुक्का छोटे स्तर के अधिकारियों को छोड़कर प्रमुख अधिकारी यथा अपर निदेशक डा.अनिल चन्दोला, संयुक्त निदेशक राजेश कुमार अपने अपने घरों में दुबके बैठे हैं।
इसी तरह का हाल देहरादून के जिला सूचना कार्यालय का है,जहां पर पहुंचे पत्रकारों का सामना "तालों" से होता है।


मेरा सभी देश के सम्मानित नागरिकों व पाठको से अपील है की इस वैश्विक महामारी के दौरान पत्रकारों व उनके परिजानों का ध्यान रखे ये एक नही सभी उन योद्धाओं की हकिकत है जो इस वक्त खतरों से खेल रहे। यह अवाज जितना आगे तक शेयर करोगें मीडियोंकर्मी को उतना हैसला व बल मिलेगा। सम्पादक...SP. Singh uttarakhanddwaar.in ( Web Media) Dehradun.