Health News... रत्नों से संभव है औषधीय उपचार


देहरादून डेस्क/ 28 अक्टुबर: आईये आपको बता दें कि रत्न क्यों औषधियों का काम करते हैं और रत्नों को क्यों इतना महात्व दिया जाता है। प्राचीन ग्रंथों में रत्नों के 84 से अधिक प्रकार बताए गए हैं। उनमें से बहुत तो अब मिलते ही नहीं। मुख्‍यत: 9 रत्नों का ही ज्यादा प्रचलन है। रत्नों से रोगों का कैसे करे उपचार आपको बात दें कि ज्योतिषियों एवं पंडितो से पहले आप यह जान ले कि रत्न कितने आपके शरीर व ग्रह में काम करते है। और इनके फायदे व नुक्सा किस तरह प्रभावित करते है।


जिसमें आपको बता दें कि रत्न औषधियों पर किस तरह कामयाब साबित होते है।रत्न विज्ञान के अनुसार हजारों वर्षों से वैद्य रत्नों की भस्म और हकीम रत्नों की षिष्टि प्रयोग में ला रहे हैं। रसराज समुच्चय के अनुसार, हीरे में विशेष गुण यह है कि रोगी यदि जीवन की अंतिम सांस ले रहा हो, ऐसी अवस्था में हीरे की भस्म की एक खुराक से चैतन्यता आ जाती है।


आपको रत्नों के उपचार व उनके उपयोग के बार में कुछ जानकारीयां दे जो आपको स्वास्थ्य के लिए काम आ सकें।
--माणिक्य भस्म शरीर मे उष्णता और जलन दूर करती है। यह रक्तवर्धक और वायुनाशक है। उदर शूल, चक्षु रोग और कोष्ठबद्धता में भी इसका प्रयोग
होता है और इसकी भस्म नपुंसकता को नष्ट करती है।


-- मूंगे को केवड़े में घिसकर गर्भवती के पेट पर लेप लगाने से गिरता हुआ गर्भ रुक जाता है। मूंगे को गुलाब जल में बारीक पीसकर छाया में सुखाकर शहद के साथ सेवन करने से शरीर पुष्ट बनता है। खांसी, अग्निमांद्य, पांडुरोग की उत्कृष्ट औषधि है।
-- मोती, कैल्शियम की कमी के कारण उत्पन्न रोगों में बहुत लाभकारी होता है।


--मुक्ता भस्म से क्षयरोग, पुराना ज्वर, खांसी, श्वास-कष्ट, रक्तचाप,
हृदयरोग में लाभ मिलता है।


--श्वेत पुखराज को गुलाबजल या केवड़े में 25 दिन तक घोटा जाए और जब यह काजल की तरह पिस जाए तो इसे छाया में सुखा लें। यह पीलिया,आमवात, खांसी, श्वास कष्ट, बवासीर आदि रोगों में लाभकारी सिद्ध होता है। श्वेत पुखराज की भस्म विष और विषाक्त कीटाणुओं की क्रिया को नष्ट करती है


-- हीरे की भस्म से क्षयरोग, जलोदर, मधुमेह, भगंदर, रक्ताल्पता, सूजन आदि रोग दूर होते हैं। हीरे में वीर्य बढ़ाने की शक्ति है। पांडु, जलोदर, नपुंसकता रोगों में विशेष लाभकारी सिद्ध होती है।


-- पन्ना, गुलाब जल या केवड़े के जल में घोटकर उपयोग में आता है। यह मूत्र रोग, रक्त व्याधि और हृदय रोग में लाभदायक है। पन्ने की भस्म ठंडी मेदवर्धक है, भूख बढ़ाती है, दमा, मिचली, वमन, अजीर्ण, बवासीर, पांडु रोग में लाभदायक है।